भला करने के लिये, भाला सहन का माद्दा।
130 करोड़ भारत वासियों आपकी नजर में सीधा सच्चा, मुर्ख, भोला, ठगाना, मंजूर पर ठगा नहीं। वक्त भी जिसे बदल ना सकें, ऐसे 130 करोड (1%) साथ देने वाले 1.30 मास्टर चाहिये जो अपने आस-पास के 100 लोगो पर नजर रख सके, वह 100 लोग क्या दे सकते हैं और उन 100 लोगों की क्या जरूरते है। मास्टर द्वारा NGO के APP पर पोस्ट करना मास्टर की जिम्मेदारी, उम्र की कोई सीमा नहीं है और समस्त व्यक्ति कोई भी मास्टर बन सकते हैं।
यदि आपकी सोच हो दान करने की, किसी की मदद करने की, देश के विकास की तो हमे याद करे यक़ीन मानिए मन को ही नही दिमाग को भी सकून महसूस होगा ।
आत्मनिर्भरता योग्यता मदद के हाथ बढ़ाकर भागीदार बनाना है और नई तरकीब को प्रोत्साहन देना। व्यावसायिक शिक्षा अपनो के लिये अपनो से निपटना देने वाले भी आप और लेने वाले भी आप, चुनने वाले भी आप, पहुंचना हमारे NGO का काम है। गवाह और जिम्मेदार मास्टर होगा। खुशी में सीख अस्थिर है।
नहीं में हीन है, बोलना है, यह आप पर निर्भर करता है।
व्यापारी बोलता है, कमर ही नही, रकम भी तोड़ डाली, कुछ बचता ही नहीं। इस विचार पर बात करने के स्थान पर हम क्या दे सकते हैं, इस पर आप समस्त लोग विचार कर सकते हैं।
नशे में शान, शान का नशा,
समझो शाम तक का खेल हैं
कोई लेखा चाँद तक का लाया नहीं
जो निति बिना राज के बने,
वह निति तक़दीर बदल देगी
क्षण में किसी उस पार पंहुचा देना,
आरक्षण है|
गौ माँ यह भी मांगो में छिपा रहना चाहिए|
मजे से दूर फिर भी मजे में |
रानी हो सकती है, नौकरानी का दर्द
समझते हुए राज करे |
भीख नहीं रोजगार दो |
अभाव में रहने वालो को भाव देना |
कर्म ही पूजा है, सहयोग ही बल है |
दुःख देख, खुद को खाद की तरह इस्तेमाल करना, खुदा की बंदगी है |
शौच से सोच तक |
इस्तेमाल में न आने वाली कोई भी वस्तु हमारे NGO की मदद से अभाव ग्रस्त लोगो को दान कर पुण्य के भागी बने |
व्यापारी वर्ग अपनी दवाइआ, खाद पदार्थ या अन्य वस्तुए जो एक्सपायरी होने वाली होती है उसे वक़्त से पहले जरूरतमंदो तक निशुल्क पहुंचना चाहते है तो हमारे NGO से संपर्क करे|
युवा वायु समान...
पर जमीन पर उड़े
देश और समाज ने हमे क्या दिया
इस पर विचार न कर |
हम क्या दे सकते है|
मान अपमान से परे, तो हमारे NGO में मास्टर बने|
ऐसी कोई जात नहीं,
जहा भात न पका हो
ऐसी कोई बात बता दे जो इस जात में हुई हो उस जात में नहीं |
जात का ताज उतार दो कही ऐसा न हो
जाए जातो गवाया, भातो न खाया